Tuesday, February 21, 2012

काजरिज: फैन्सी


 
          कॉजरिज ने कल्पना के संबंध में विस्तार से विचार किया है। कॉलरिज ने कल्पना के संबंध में विस्तार से अने विचार प्रकट किये हैं। उनके विचार से वह कल्पना शक्ति ही है जो निराकार विचारों और भावों को रूपायित करती है। इतना ही नहीं, भाव और विचार के बीच , जो एक दूसरे के विरोधी माने जाते हैं- सामंजस्य और अन्विति स्थापित करती है। वाह्य पदार्थों और आत्मतत्त्व के संबंध स्थापित करने में भी कल्पना शक्ति का हाथ रहता है। उन्होंने कल्पना( इमेजिनेशन) तथा ऊहा (फैन्सी) के अंतर पर भी प्रकाश डाला है। यद्यपि दोनों तात्त्विक दृष्टि से एक हैं तथापि अंतर है।
          कल्पना - कल्पना काव्यगत सार्थक और उपयुक्त बिंबों की रचना करती है।
          ऊहा(फैन्सी) - ऊहा कपोलकल्पना, दिवास्वप्न वाले अनर्गल, अवास्तविक कार्यकलाप को मन में रूपायित करती है। ऊहा निम्नकोटि की मनगढंत बिंब रचना करती है। वह स्वच्छंद अननुशासित होती है। इसमें मनुष्य सुंदर, मन को प्रसन्न करने वाली बातों में दिवास्वप्न देखता रहता है। वास्तविकता से उसका संबंध नहीं होता, पंरतु कल्पना आत्मा की एक शक्ति है। वह दिव्य है, सर्जनात्मक है।

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