Tuesday, February 21, 2012

कालरिज: कल्पना और फैन्सी


कल्पना सिद्धांत:
          कॉलरिज ने कल्पना को सौंदर्य विधायिनी तथा सर्जनात्मक शक्ति के रूप में स्वीकार किया है। उसके अनुसार ‘‘कवि प्रतिभा का शरीर उत्तम बोध है। ऊहा उसका वस्त्रावरण है, गति उसका जीवन है और कल्पना उसकी आत्मा है, जो सर्वत्र और प्रत्येक में है और सबको समन्वित कर उसे एक ललित ओर सुबोध परिपूर्ण रूप प्रदान करती है।’’
          काजरिज ने मौलिक काव्य प्रतिभा की निम्नांकित बातों में पहचान निकाली है -

1.            विषयानुरूप छंद रचना का माधुर्य
2.            विषय का चयन
3.            कल्पना
4.            विचार की गहराई और उसकी ऊर्जा

          पाश्चात्य काव्य चिंतन के क्षेत्र में कल्पना का वही स्थान है जो भारतीय काव्यशास्त्र में प्रतिभाका है।  प्लेटो ने कल्पना के लिए फैन्टेसिया शब्दा का प्रयोग किया तथा एडिसन(1672-1719) ने उसे मूर्ति विधान करने वाली शक्ति बताया है। कल्पना के संबंध में सबसे महत्त्वपूर्ण विचार कॉजरिज के हैं।
          कॉलरिज ने कल्पना के संबंध में विस्तार से अने विचार प्रकट किये हैं। उनके विचार से वह कल्पना शक्ति ही है जो निराकार विचारों और भावों को रूपायित करती है। इतना ही नहीं, भाव और विचार के बीच , जो एक दूसरे के विरोधी माने जाते हैं- सामंजस्य और अन्विति स्थापित करती है। वाह्य पदार्थों और आत्मतत्त्व के संबंध स्थापित करने में भी कल्पना शक्ति का हाथ रहता है।
          उन्होंने कल्पना (इमेजिनेशन) और ऊहा(फैन्सी) के अंतर पर भी प्रकाश डाला है। यद्यपि दोनों तात्त्विक रूप से एक हैं, तथापि अंतर है। कल्पना काव्यगत सार्थक और उपयुक्त बिंबों की रचना करती है, जबकि ऊहा कपोलकल्पना, दिवास्वप्न वाले अनर्गल, अवास्तविक कार्यकलाप को मन में रूपायित करती है। ऊहा निम्नकोटि की मनगढंत बिंब रचना करती है। वह स्वच्छंद अननुशासित होती है। पंरतु कल्पना आत्म की एक शक्ति है। वह दिव्य है, सर्जनात्मक है। रचना-शीलता उसका गुण है। रचनाशील होने के कारण वह विवेकमय होती है। कल्पना निर्मित बिंब सार्थक और संबंद्ध होते हैं। उनमे क्रम और औचित्य रहता है। वह जड़ और चेतन तथा भाव और विचार के बीच सामंजस्य स्थापित करती है। विचार और भाव को साकार करना कल्पना का कार्य है।
          कल्पना दो प्रकार की होती है- एक मुख्य या प्राथमिक और दूसरी गौण या अनुवर्ती। मुख्य कल्पना मानव-ज्ञान की जीवंत शक्ति और प्रमुख माध्यम होती है। असीम में होने वाली अनंत सर्जन-क्रिया की ससीम मन में होने वाली वह प्रतिकृति है। गौण या अनुवर्ती कल्पना उसकी छाया मात्र है। सचेतन संकल्प शक्ति के साथ उसका सह-अस्तित्व होता है। दोनों में तात्त्विक भेद नहीं, अंतर मात्रा और क्रियाविधि का है। कविता को इससे प्रेरणा मिलती है।
          कॉजरिज ने कल्पना के दो भेद किए हैं-
1.            प्राथमिक - प्राथमिक कल्पना ईश्वर की सर्जना शक्ति का ही मनुष्य के मन में प्रतिबिंब है अर्थात् असीम सत्ता की चिरंतन सृजन शक्ति का ही ससीम मानव में आवृत्ति है। यह अखिल ब्रह्मांड उसी (असीम ब्रह्म) की कल्पना या सृजन शक्ति का परिणाम है। असीम ब्रह्म की कल्पना शक्ति का प्रतिबिंब ससीम मनुष्य के मन पर पड़ता है और उसमें कल्पना शक्ति जागृत हो जाती है। ससीम मनुष्य को इसी शक्ति के माध्यम से व्यक्त जगत का ज्ञान होता है। 
2.            गौण या अनुवर्ती - यह कल्पना प्राथमिक कल्पना का निचला स्तर है। इसके माध्यम से मनुष्य स्वयं सृष्टि रचने में समर्थ होता है। यह दूसरे कोटि की कल्पना ही काव्य क्षेत्र में क्रियाशील होती है।
          कॉलरिज से पहले कल्पना और ललित कल्पना में अंतर नहीं किया जाता था, किंतु कॉलरिज ने इन दोनों में अंतर स्थापित कर दिया। ललित कल्पना का संबंध अचल और निर्दिष्ट पदार्थों से है। वह कल्पना को ललित-कल्पना से श्रेष्ठ मानता है। वह यह भी मानता है कि जिस प्रकार प्रतिभा को प्रज्ञा की आवश्यकता है, उसी प्रकार कल्पना को
          भी ललित-कल्पना की आवश्यकता है। यह एक दूसरे से भिन्न शक्तियां हैं। कल्पना का काम एकीकरण और
          पुनर्निमाण है, ललित कल्पना केवल संयोजन मात्र करती है, किंतु उस संयोजन में सरसता और मार्मिकता का अभाव होता है। कल्पना का संबंध आत्मा और मन से है, जबकि ललित कल्पना मस्तिष्क से संबंधित है। ललित कल्पना निर्जीव शक्ति है। कल्पना आत्मिक और ललित कल्पना यांत्रिक होती है। ललित कल्पना क्रम, अनुपात और व्यवस्था के बिना वस्तुओं का ढेर लगाती है, वह उन्हें एकत्रित, संगठित और जीवंत रूप नहीं दे सकती। जिस प्रकार स्वप्न में मनुष्य अनेक विचारों को एकत्र तो करता है किंतु उन्हें क्रम और अन्विति नहीं दे पाता।
          इस प्रकार कॉलरिज का कल्पना सिद्धांत मौलिक और महत्त्वपूर्ण है। कॉलरिज पर जर्मन दार्शनिक शेलिंग और काण्ट का प्रभाव देखा जा सकता है।

16 comments:

  1. बहुत खूब में भी जवाहर नवोदय विद्यालय का छात्र था , अभी त्रिपुरा विश्वविद्यालय में हिंदी के ऊपर एम.ए कर रहा हूँ ।

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  2. बहुत खूब मैं प्रीति रानी दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी ऑनर्स कर रही हूँ ।

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  3. बहुत खूब मै नितिन दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी ऑनर्स कर रहा हूं। इन नोट्स की ने मुझे काफी सहायता दी है। #धन्यवाद!

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  4. जबरदस्त शानदार मैं विक्की उपाध्याय दिल्ली विश्वविद्यालय हिंदी ऑनर्स कर रहा हूं । कॉलरिज का कल्पना सिद्धांत इस नोट से पाकर मैं बहुत खुश हूं अद्भुत अद्वितीय । धन्यवाद।

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  5. Very nice me bhi delhi university se hindi hons kr rhi hu
    Iss notes se bhi mujhe bahut help mili thnku so much

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  6. Esko kayi putako se nahi balki sirf ek pustk se utara hai bhai o bhi ujc ki book hai samjhe

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    1. भाई कई पुस्तकों के आधार पर नोट्स बनाने की घोषणा इस ब्लॉग में उपलब्ध सभी शीर्षकों के लिए है। हो सकता हो इस शीर्षक की सामग्री किसी एक ही पुस्तक में मिली हो तो उसी को लिख दिया हो। इतने वर्षों बाद तो याद भी नहीं रहा। लेकिन इतना याद है कि पाश्चात्य काव्यशास्त्र की कम से कम 4-5 पुस्तकें एक साथ ही विश्वविद्यालय प्रकाशन से मंगाया था मैंने जो अभी भी मेरी आलमारी में पड़ीं हैं। साथ ही यूजीसी के लिए लिखी गई दो तीन पुस्तकें भी थीं। सभी का प्रयोग किया था मैंने।
      टेबल पर और पास में बेड पर सभी किताबें खुली रहती थीं और जहाँ से सामग्री जमी सजाकर सीधे कंप्यूटर पर टाइप करता जाता था।
      टारगेट था बहुत अच्छे नंबरों से यूजीसी नेट पास करने का(उस समय लिखित परीक्षा होती थी) इसलिये नोट्स बनाना शुरू किया था। इसी पेपर का बना था तब तक रिजल्ट आया और मैं नेट पास हो गया। फिर उसके बाद नोट्स बनाना बंद कर दिया।
      यही तैयार था तो सोचा लोगों में साझा कर दूं शायद किसी के काम आए।
      आशा है लोग लाभ उठा रहे होंगे।
      मेरा मौलिक कुछ नहीं है यह तो मैं पहले ही बता चुका हूं।
      अभी मौलिक शायरी करता हूँ। रुचि रखते हों तो Qamar Jaunpuri नाम से फेसबुक पर हूँ, जुड़ सकते हैं।
      आपका कुछ मौलिक हो तो अवश्य बताएँ मैं पढ़ने की कोशिश करूँगा।
      धन्यवाद।

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  7. इन नोट्स से मुझे भी काफ़ी सहायता मिली। मैं भी दिल्ली विश्वविद्यालय से एम ए कर रही हूं। बहुत बहुत शुक्रिया।

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    1. Ma'am delhi university se MA hindi ke liye entrance dena hota h ky??

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  8. सभी सुधी पाठकों एवं प्यारे विद्यर्थियों का बहुत बहुत आभार ब्लॉग पर आने के लिए।

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  9. I Am Also Doin My 3rd Year Of Bachelores From Central University:- Mahatma Gandhi Antrrashtriya Hindi vishwavidyalay,Wardha (Maharastra) Pin-442001

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  10. बहुत बहुत धन्यवाद सर्, मैं भी महात्मा गांधी अंतराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा(महाराष्ट्र)से हिंदी में ऑनर्स कर रहा हूं। और मुझे सेमिनार का टॉपिक 'कॉलरिज का कल्पना सिद्धान्त'पर मुझे सेमिनार प्रस्तुत करना है। इस ब्लॉग से मुझे बहुत मदद मिला है,धन्यवाद।

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  11. बहुत अच्छा लिखा हुऐ है. धन्यवाद सर जी

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  12. Fancy is not obviously elaborated here.

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